Tuesday 3 January 2012

जनम दिन की व्यथा (Janam Din ki Vyatha)


बड़ी मुद्दत के बाद एक एह्सास सा आया है ..
भरी दुनिया में खुद को अकेला सा पाया है ..

आज का दिन 'ख़ास' है ये सोच-सोच इतराया था ..
कल से ही आज का कुछ 'ख़ास' Plan बनाया था ..

सोचा था की आज मेरे अपने मुझे बधाई  देंगे ..
जनम - दिन मुबारक कह के गले से लगा लेंगे ..

पर क्या खबर थी की अपनों से ज्यादा मुझे 'गैर' याद रखेंगे ..
'Auotomatic' wishes ही सही, wish तो कर ही देंगे.

आज सवेरे से मैं अपनी ई - मेल 'Refresh' कर रहा हूँ ..
कभी 'Facebook ', कभी 'Gmail' में बार - बार 'Hop' कर रहा हूँ..

इस उम्मीद में की कहीं किसी दोस्त का कोई पैगाम आ जाए ..
मन को तसल्ली देने वाला एक लाइन ही कोई कह जाए..

हर बार उम्मीदों की उस रेत को समुंदर की वो लहर ले जाती है...
जब भी कोई 'Jet  Airways', 'Kotak' या फिर किसी और कंपनी की कोई Automated Birthday Wish आती है.

मन यही सोच - सोच के उदास हो जाता था ...
अगर 'Facebook' में जन्मदिन Publish कर दिया होता, तो community  को तो याद ही रह जाना था..

आज रिश्तों के मोल Technology में बदल गए हैं ...
अगर आप खुद याद न दिलाएं, तो आप लोगों को याद नही रहते हैं...

चलो जाते - जाते  एक  wish और आ गया...
बीवी के लिये गहना खरीदना काम आ गया ...
बीवी दूर है तो क्या हुआ, उसके गहने की बदौलत "Tanishq" का मुबारकबाद और आ गया!!

- अभिनव सहाय


Janam Din ki Vyatha

2 comments:

Santosh Bolake said...

Digitally 'Connected' World ....

Achint said...

Lovely... This is entirely true in today's technology world