This page is meant to cater to my CQ (Creativity Quotient). I'll keep posting the work that I do with my diversified areas of interest like mimicry and enactment, music, poems, sketches, photography and photo-editing, articles ranging from funny ones to economics to technological aspects so on and so forth. This is gonna be completely random based on what irks me to write a post! Hope you will enjoy being with me on this erratic and fun-filled journey.
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Monday, 8 February 2021
Wednesday, 6 February 2019
Wednesday, 23 December 2015
गुलिस्तां - ऐ - लखनऊ
अमा, जल्दी में क्यूँ हो?
तकल्लुफ्फ़ में क्यूँ हो?
ज़रा सांस भर लो,
इतनी हड़बड़ में क्यूँ हो?
यहाँ आए हो तो,
ज़रा आराम कर लो,
ज़रा खटिया बिछाओ, और,
अंगड़ाई ले लो,
अमा, नोश फ़रमाओ
ये टुंडे कबाबी,
ये खाना नवाबी,
वाहिद की बिरयानी,
यहाँ गंज की रौनक है,
नक्खास का बाजार है,
ज़दीद असास (Modern Infrastructure), और,
शाही एहसास है,
यहाँ प्रकाश की कुल्फी है,
चौक की लस्सी है,
चटपटी चाट, और,
ठंडाई भी सस्ती है,
यहाँ
पान में गिलौरी है,
फिजाओं
में शायरी है,
मीर
की मजार ही तो,
आशिकों
की हस्ती है,
यहीं पे मिलेगी,
बारादरी की महफ़िल,
इमामबाड़े की बाओली, और,
पंचमुखी मंदिर,
लखनऊ में आये हो,
नवाबी हो जाओ, भोकाली हो जाओ ,
ज़रा अंगड़ाई ले लो, और,
तान के सो जाओ|
- अभिनव सहाय|

Saturday, 28 March 2015
Naya Savera
॥ नया सवेरा ॥
कितने तारे टूटे कितने संवर गए
इक रात के आगोश में सब बदल गए
जो दाग पड़े थे अंधियारे में खो गए
हम सब भी तो मतवाले से हो गए
अब दिन निकला तो सोचा, गोया, नया सवेरा!
नयी सोच, नयी राह और नया इशारा!
पर ये क्या? फिर दाग पुराने निखर गए
हम उनको ही मिटाने में फिर सिमट गए
बस रात-दिन, दिन-रात यूँ ही कट गए
हम अपने उन दागों में उलझे रह गये।
- अभिनव सहाय
* गोया means "As-If"
कितने तारे टूटे कितने संवर गए
इक रात के आगोश में सब बदल गए
जो दाग पड़े थे अंधियारे में खो गए
हम सब भी तो मतवाले से हो गए
अब दिन निकला तो सोचा, गोया, नया सवेरा!
नयी सोच, नयी राह और नया इशारा!
पर ये क्या? फिर दाग पुराने निखर गए
हम उनको ही मिटाने में फिर सिमट गए
बस रात-दिन, दिन-रात यूँ ही कट गए
हम अपने उन दागों में उलझे रह गये।
- अभिनव सहाय
* गोया means "As-If"
Thursday, 13 September 2012
Tribute to 'Surya'
I lost my nephew (Deepika's brother Son - 'Surya') on 05th-Sep-2012. He was just 6 months 7 days old kid, a darling! This is a tribute to the infant soul who came for such a short duration and spread love and happiness across families and his surroundings... Love you and Miss you a lot Surya....
मैं हंस तो रहा हूँ
पर कहीं न कहीं तुझे याद कर रहा हूँ
पतानही क्यूँ, मेरी आँखों के कोने अक्सर नम हो जाते हैं
और दिल की धडकनें अक्सर तेज़ हो जाती हैं
जब भी तेरी वो नन्ही सी सूरत सामने आती है.....
शायद वो सूरत, वो मुस्कुराहट
अभी तक कहीं गयी ही नही है
तू हमेशा मेरे ज़हन में यहीं कहीं है
वो तो मैं ही ज़बरदस्ती मुस्कुराहट का चोला डाल लेता हूँ
और तुझे भूलने की इक नाकाम कोशिश कर ही लेता हूँ....
जब तू था तो मैं तेरे इतने पास नहीं था
तो अब क्यूँ तूने मुझे यूँ बांधे रखा है?
हर पल क्यूँ तू मेरे सामने है 'सूर्या'
मैं चाहूँ न चाहूँ तेरी याद मेरे साथ है 'सूर्या'....
इतनी भी क्या जल्दी थी तुझे यूँ 'जीत' जाने की?
जो हम सब को पीछे छोड़ तू आगे निकल गया....
किस तरह वाकिफ कराऊँ सच से में खुद को, की मन रो ही पड़ता है
जब भी तेरी वो नन्ही सी सूरत सामने आती है....
मैं हंस तो रहा हूँ
पर कहीं न कहीं तुझे याद कर रहा हूँ
पतानही क्यूँ, मेरी आँखों के कोने अक्सर नम हो जाते हैं
और दिल की धडकनें अक्सर तेज़ हो जाती हैं
जब भी तेरी वो नन्ही सी सूरत सामने आती है.....
शायद वो सूरत, वो मुस्कुराहट
अभी तक कहीं गयी ही नही है
तू हमेशा मेरे ज़हन में यहीं कहीं है
वो तो मैं ही ज़बरदस्ती मुस्कुराहट का चोला डाल लेता हूँ
और तुझे भूलने की इक नाकाम कोशिश कर ही लेता हूँ....
जब तू था तो मैं तेरे इतने पास नहीं था
तो अब क्यूँ तूने मुझे यूँ बांधे रखा है?
हर पल क्यूँ तू मेरे सामने है 'सूर्या'
मैं चाहूँ न चाहूँ तेरी याद मेरे साथ है 'सूर्या'....
इतनी भी क्या जल्दी थी तुझे यूँ 'जीत' जाने की?
जो हम सब को पीछे छोड़ तू आगे निकल गया....
किस तरह वाकिफ कराऊँ सच से में खुद को, की मन रो ही पड़ता है
जब भी तेरी वो नन्ही सी सूरत सामने आती है....
Tuesday, 3 January 2012
कब तक (Kab Tak)
कब तक यूँ चुप बैठेंगे
कब तक यूँ सहते रहेंगे
कब तक इस पावन भूमि पर
यूँ अन्याय होते रहेंगे
हम सभ्य हैं, हम सौम्य हैं
ये कह - कह कर इतराते हैं
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं
यह समय नहीं है अच्छाइयों की म्रिग्छाया में रहने का
यह समय नहीं है बातें कर, अपना जी बहलाने का
जिस मनुष्य रूप में जन्मे हो
उस मानव को हुंकारों तुम
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
जब तक हम न जागेंगे
जब तक हम न लल्कारेंगे
यूँ ही कहीं कुछ मासूम
अपनी जान गवाएंगे
यूँ ही कहीं कुछ बहनें
अपनी व्यथा पे रोयेंगी
अब समय आ गया है प्यारों
इस देश का कर्ज चुकाने का
देश के सब गद्दारों को
एक कड़वा सबक सिखाने का
अपने कंधे मजबूत करो
की देश के तुम भी प्रहरी हो
वो सीमा पे कट जाते हैं
तुम भीतर इक आग़ाज़ करो
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं!
कब तक यूँ सहते रहेंगे
कब तक इस पावन भूमि पर
यूँ अन्याय होते रहेंगे
हम सभ्य हैं, हम सौम्य हैं
ये कह - कह कर इतराते हैं
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं
यह समय नहीं है अच्छाइयों की म्रिग्छाया में रहने का
यह समय नहीं है बातें कर, अपना जी बहलाने का
जिस मनुष्य रूप में जन्मे हो
उस मानव को हुंकारों तुम
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
जब तक हम न जागेंगे
जब तक हम न लल्कारेंगे
यूँ ही कहीं कुछ मासूम
अपनी जान गवाएंगे
यूँ ही कहीं कुछ बहनें
अपनी व्यथा पे रोयेंगी
अब समय आ गया है प्यारों
इस देश का कर्ज चुकाने का
देश के सब गद्दारों को
एक कड़वा सबक सिखाने का
अपने कंधे मजबूत करो
की देश के तुम भी प्रहरी हो
वो सीमा पे कट जाते हैं
तुम भीतर इक आग़ाज़ करो
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं!
- अभिनव सहाय

जनम दिन की व्यथा (Janam Din ki Vyatha)
बड़ी मुद्दत के बाद एक एह्सास सा आया है ..
भरी दुनिया में खुद को अकेला सा पाया है ..
आज का दिन 'ख़ास' है ये सोच-सोच इतराया था ..
कल से ही आज का कुछ 'ख़ास' Plan बनाया था ..
सोचा था की आज मेरे अपने मुझे बधाई देंगे ..
जनम - दिन मुबारक कह के गले से लगा लेंगे ..
पर क्या खबर थी की अपनों से ज्यादा मुझे 'गैर' याद रखेंगे ..
'Auotomatic' wishes ही सही, wish तो कर ही देंगे.
आज सवेरे से मैं अपनी ई - मेल 'Refresh' कर रहा हूँ ..
कभी 'Facebook ', कभी 'Gmail' में बार - बार 'Hop' कर रहा हूँ..
इस उम्मीद में की कहीं किसी दोस्त का कोई पैगाम आ जाए ..
मन को तसल्ली देने वाला एक लाइन ही कोई कह जाए..
हर बार उम्मीदों की उस रेत को समुंदर की वो लहर ले जाती है...
जब भी कोई 'Jet Airways', 'Kotak' या फिर किसी और कंपनी की कोई Automated Birthday Wish आती है.
मन यही सोच - सोच के उदास हो जाता था ...
अगर 'Facebook' में जन्मदिन Publish कर दिया होता, तो community को तो याद ही रह जाना था..
आज रिश्तों के मोल Technology में बदल गए हैं ...
अगर आप खुद याद न दिलाएं, तो आप लोगों को याद नही रहते हैं...
चलो जाते - जाते एक wish और आ गया...
बीवी के लिये गहना खरीदना काम आ गया ...
बीवी दूर है तो क्या हुआ, उसके गहने की बदौलत "Tanishq" का मुबारकबाद और आ गया!!
- अभिनव सहाय
भरी दुनिया में खुद को अकेला सा पाया है ..
आज का दिन 'ख़ास' है ये सोच-सोच इतराया था ..
कल से ही आज का कुछ 'ख़ास' Plan बनाया था ..
सोचा था की आज मेरे अपने मुझे बधाई देंगे ..
जनम - दिन मुबारक कह के गले से लगा लेंगे ..
पर क्या खबर थी की अपनों से ज्यादा मुझे 'गैर' याद रखेंगे ..
'Auotomatic' wishes ही सही, wish तो कर ही देंगे.
आज सवेरे से मैं अपनी ई - मेल 'Refresh' कर रहा हूँ ..
कभी 'Facebook ', कभी 'Gmail' में बार - बार 'Hop' कर रहा हूँ..
इस उम्मीद में की कहीं किसी दोस्त का कोई पैगाम आ जाए ..
मन को तसल्ली देने वाला एक लाइन ही कोई कह जाए..
हर बार उम्मीदों की उस रेत को समुंदर की वो लहर ले जाती है...
जब भी कोई 'Jet Airways', 'Kotak' या फिर किसी और कंपनी की कोई Automated Birthday Wish आती है.
मन यही सोच - सोच के उदास हो जाता था ...
अगर 'Facebook' में जन्मदिन Publish कर दिया होता, तो community को तो याद ही रह जाना था..
आज रिश्तों के मोल Technology में बदल गए हैं ...
अगर आप खुद याद न दिलाएं, तो आप लोगों को याद नही रहते हैं...
चलो जाते - जाते एक wish और आ गया...
बीवी के लिये गहना खरीदना काम आ गया ...
बीवी दूर है तो क्या हुआ, उसके गहने की बदौलत "Tanishq" का मुबारकबाद और आ गया!!
- अभिनव सहाय
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