This page is meant to cater to my CQ (Creativity Quotient). I'll keep posting the work that I do with my diversified areas of interest like mimicry and enactment, music, poems, sketches, photography and photo-editing, articles ranging from funny ones to economics to technological aspects so on and so forth. This is gonna be completely random based on what irks me to write a post! Hope you will enjoy being with me on this erratic and fun-filled journey.
Saturday, 21 January 2012
Thursday, 19 January 2012
My Tryst with Adobe Photoshop
Hi, These are some of the pics that I tried photoshoping on Adobe Photoshop CS2.
Original pics are there in the corner of each photograph as insets. You can click on individual images in order to see the real size picture.
Only WMP was created by my batchmates @ IIML Noida Campus. I tried to create IIML as well.
Myself and Adyansh. Very simple editing and merging of four different pics.
Natural background with we in black and white. (Done by simple masking)
This is the one with myself and my wife. I gifted this to her on our anniversary. She went crazy on seeing this... :)
Tried Stoning of Deepika.
Tried creating artificial lightening effect!
Just a simple sketch look!!!
Black and White Background with Rainbow effect.
Men of Steel
Let me know how do you feel about it.... That'll keep me motivated...;-)
Tuesday, 3 January 2012
कब तक (Kab Tak)
कब तक यूँ चुप बैठेंगे
कब तक यूँ सहते रहेंगे
कब तक इस पावन भूमि पर
यूँ अन्याय होते रहेंगे
हम सभ्य हैं, हम सौम्य हैं
ये कह - कह कर इतराते हैं
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं
यह समय नहीं है अच्छाइयों की म्रिग्छाया में रहने का
यह समय नहीं है बातें कर, अपना जी बहलाने का
जिस मनुष्य रूप में जन्मे हो
उस मानव को हुंकारों तुम
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
जब तक हम न जागेंगे
जब तक हम न लल्कारेंगे
यूँ ही कहीं कुछ मासूम
अपनी जान गवाएंगे
यूँ ही कहीं कुछ बहनें
अपनी व्यथा पे रोयेंगी
अब समय आ गया है प्यारों
इस देश का कर्ज चुकाने का
देश के सब गद्दारों को
एक कड़वा सबक सिखाने का
अपने कंधे मजबूत करो
की देश के तुम भी प्रहरी हो
वो सीमा पे कट जाते हैं
तुम भीतर इक आग़ाज़ करो
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं!
कब तक यूँ सहते रहेंगे
कब तक इस पावन भूमि पर
यूँ अन्याय होते रहेंगे
हम सभ्य हैं, हम सौम्य हैं
ये कह - कह कर इतराते हैं
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं
यह समय नहीं है अच्छाइयों की म्रिग्छाया में रहने का
यह समय नहीं है बातें कर, अपना जी बहलाने का
जिस मनुष्य रूप में जन्मे हो
उस मानव को हुंकारों तुम
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
जब तक हम न जागेंगे
जब तक हम न लल्कारेंगे
यूँ ही कहीं कुछ मासूम
अपनी जान गवाएंगे
यूँ ही कहीं कुछ बहनें
अपनी व्यथा पे रोयेंगी
अब समय आ गया है प्यारों
इस देश का कर्ज चुकाने का
देश के सब गद्दारों को
एक कड़वा सबक सिखाने का
अपने कंधे मजबूत करो
की देश के तुम भी प्रहरी हो
वो सीमा पे कट जाते हैं
तुम भीतर इक आग़ाज़ करो
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं!
- अभिनव सहाय
जनम दिन की व्यथा (Janam Din ki Vyatha)
बड़ी मुद्दत के बाद एक एह्सास सा आया है ..
भरी दुनिया में खुद को अकेला सा पाया है ..
आज का दिन 'ख़ास' है ये सोच-सोच इतराया था ..
कल से ही आज का कुछ 'ख़ास' Plan बनाया था ..
सोचा था की आज मेरे अपने मुझे बधाई देंगे ..
जनम - दिन मुबारक कह के गले से लगा लेंगे ..
पर क्या खबर थी की अपनों से ज्यादा मुझे 'गैर' याद रखेंगे ..
'Auotomatic' wishes ही सही, wish तो कर ही देंगे.
आज सवेरे से मैं अपनी ई - मेल 'Refresh' कर रहा हूँ ..
कभी 'Facebook ', कभी 'Gmail' में बार - बार 'Hop' कर रहा हूँ..
इस उम्मीद में की कहीं किसी दोस्त का कोई पैगाम आ जाए ..
मन को तसल्ली देने वाला एक लाइन ही कोई कह जाए..
हर बार उम्मीदों की उस रेत को समुंदर की वो लहर ले जाती है...
जब भी कोई 'Jet Airways', 'Kotak' या फिर किसी और कंपनी की कोई Automated Birthday Wish आती है.
मन यही सोच - सोच के उदास हो जाता था ...
अगर 'Facebook' में जन्मदिन Publish कर दिया होता, तो community को तो याद ही रह जाना था..
आज रिश्तों के मोल Technology में बदल गए हैं ...
अगर आप खुद याद न दिलाएं, तो आप लोगों को याद नही रहते हैं...
चलो जाते - जाते एक wish और आ गया...
बीवी के लिये गहना खरीदना काम आ गया ...
बीवी दूर है तो क्या हुआ, उसके गहने की बदौलत "Tanishq" का मुबारकबाद और आ गया!!
- अभिनव सहाय
भरी दुनिया में खुद को अकेला सा पाया है ..
आज का दिन 'ख़ास' है ये सोच-सोच इतराया था ..
कल से ही आज का कुछ 'ख़ास' Plan बनाया था ..
सोचा था की आज मेरे अपने मुझे बधाई देंगे ..
जनम - दिन मुबारक कह के गले से लगा लेंगे ..
पर क्या खबर थी की अपनों से ज्यादा मुझे 'गैर' याद रखेंगे ..
'Auotomatic' wishes ही सही, wish तो कर ही देंगे.
आज सवेरे से मैं अपनी ई - मेल 'Refresh' कर रहा हूँ ..
कभी 'Facebook ', कभी 'Gmail' में बार - बार 'Hop' कर रहा हूँ..
इस उम्मीद में की कहीं किसी दोस्त का कोई पैगाम आ जाए ..
मन को तसल्ली देने वाला एक लाइन ही कोई कह जाए..
हर बार उम्मीदों की उस रेत को समुंदर की वो लहर ले जाती है...
जब भी कोई 'Jet Airways', 'Kotak' या फिर किसी और कंपनी की कोई Automated Birthday Wish आती है.
मन यही सोच - सोच के उदास हो जाता था ...
अगर 'Facebook' में जन्मदिन Publish कर दिया होता, तो community को तो याद ही रह जाना था..
आज रिश्तों के मोल Technology में बदल गए हैं ...
अगर आप खुद याद न दिलाएं, तो आप लोगों को याद नही रहते हैं...
चलो जाते - जाते एक wish और आ गया...
बीवी के लिये गहना खरीदना काम आ गया ...
बीवी दूर है तो क्या हुआ, उसके गहने की बदौलत "Tanishq" का मुबारकबाद और आ गया!!
- अभिनव सहाय
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