कब तक यूँ चुप बैठेंगे
कब तक यूँ सहते रहेंगे
कब तक इस पावन भूमि पर
यूँ अन्याय होते रहेंगे
हम सभ्य हैं, हम सौम्य हैं
ये कह - कह कर इतराते हैं
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं
यह समय नहीं है अच्छाइयों की म्रिग्छाया में रहने का
यह समय नहीं है बातें कर, अपना जी बहलाने का
जिस मनुष्य रूप में जन्मे हो
उस मानव को हुंकारों तुम
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
जब तक हम न जागेंगे
जब तक हम न लल्कारेंगे
यूँ ही कहीं कुछ मासूम
अपनी जान गवाएंगे
यूँ ही कहीं कुछ बहनें
अपनी व्यथा पे रोयेंगी
अब समय आ गया है प्यारों
इस देश का कर्ज चुकाने का
देश के सब गद्दारों को
एक कड़वा सबक सिखाने का
अपने कंधे मजबूत करो
की देश के तुम भी प्रहरी हो
वो सीमा पे कट जाते हैं
तुम भीतर इक आग़ाज़ करो
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं!
कब तक यूँ सहते रहेंगे
कब तक इस पावन भूमि पर
यूँ अन्याय होते रहेंगे
हम सभ्य हैं, हम सौम्य हैं
ये कह - कह कर इतराते हैं
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं
यह समय नहीं है अच्छाइयों की म्रिग्छाया में रहने का
यह समय नहीं है बातें कर, अपना जी बहलाने का
जिस मनुष्य रूप में जन्मे हो
उस मानव को हुंकारों तुम
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
जब तक हम न जागेंगे
जब तक हम न लल्कारेंगे
यूँ ही कहीं कुछ मासूम
अपनी जान गवाएंगे
यूँ ही कहीं कुछ बहनें
अपनी व्यथा पे रोयेंगी
अब समय आ गया है प्यारों
इस देश का कर्ज चुकाने का
देश के सब गद्दारों को
एक कड़वा सबक सिखाने का
अपने कंधे मजबूत करो
की देश के तुम भी प्रहरी हो
वो सीमा पे कट जाते हैं
तुम भीतर इक आग़ाज़ करो
और चीर चलो सन्नाटों को
और भेद दो सब चट्टानों को
बस बहुत हो गया अब जागो
ये रक्त - पिपासु रातें हैं!
- अभिनव सहाय

Inspirational ...
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